उत्तराखंड में अब गांव-गांव बनने लगी संघर्ष समिति, सल्ट ग्रामीण क्षेत्र संघर्ष समिति ने फूंका मंत्री प्रेमचंद का पुतला

अल्मोड़ा/सल्ट

प्रदेशभर में चल रहे आंदोलनों के बीच अब पहाड़ों में भी युवाओं ने संघर्ष का बिगुल फूंक दिया है। जहां देहरादून में लगातार आंदोलन हो रहे हैं, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में इनका प्रभाव अब तक सीमित था। लेकिन अब पहाड़ों के हालात बदलने के लिए युवाओं ने अपने-अपने क्षेत्रों में संघर्ष समितियों का गठन शुरू कर दिया है।

 

इसी क्रम में, दो दिन पूर्व सल्ट क्षेत्र के युवा रोहन बिष्ट ने सल्ट ग्रामीण क्षेत्र संघर्ष समिति का गठन किया। समिति ने अपने पहले बड़े कदम के रूप में आज प्रदेश के कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल का पुतला दहन किया। ग्रामीणों में मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के प्रति जबरदस्त आक्रोश देखने को मिला। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि प्रेमचंद अग्रवाल द्वारा पहाड़ी समाज के प्रति की गई अमर्यादित टिप्पणी किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है और जब तक वे सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांगते, उनका बहिष्कार जारी रहेगा।

 

ग्राम अच्छरौन में भी मंत्री का पुतला दहन

इस विरोध की आग अब अन्य गांवों तक भी पहुंच रही है। ग्राम अच्छरौन (बगेड़ाना) के निवासियों ने भी आज प्रेमचंद अग्रवाल का पुतला जलाकर अपना विरोध जताया। ग्रामीणों का कहना है कि “जो व्यक्ति हमारे पहाड़ी समाज का अपमान करेगा, उसे उत्तराखंड में रहने का कोई हक नहीं है।”

 

प्रदर्शनकारियों ने स्पष्ट कहा कि यह आंदोलन किसी राजनीतिक मानसिकता से प्रेरित नहीं है, बल्कि पहाड़ी अस्मिता और सम्मान की रक्षा के लिए है। वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि पहाड़वासियों को जाति, दल और विचारधारा से ऊपर उठकर एकजुट होना होगा ताकि भविष्य में कोई भी नेता पहाड़ियों का अपमान करने की हिम्मत न कर सके।

आंदोलन में शामिल प्रमुख लोग

आज के विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए। आंदोलन में रोहन बिष्ट, नवीन रावत, अरविंद तौलिया, संतोष बिष्ट, सतीश कुमार, सूरज, मीरा देवी, पिंकी बिष्ट, आनंदी देवी, सोमती देवी सहित कई अन्य ग्रामीणों ने भाग लिया और मंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।

 

आगे की रणनीति

संघर्ष समिति के सदस्यों ने कहा कि यह आंदोलन अभी समाप्त नहीं हुआ है। “यह तो सिर्फ अंगड़ाई है, आगे और लड़ाई है!” के नारों के साथ उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मंत्री के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और पहाड़ी समाज से माफी नहीं मांगी गई, तो यह आंदोलन और उग्र होगा।

“गालीबाज नेताओं को सहन नहीं करेंगे!”

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि चाहे वह किसी भी दल का नेता हो, यदि वह पहाड़ियों का अपमान करेगा तो उसका सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार किया जाएगा। उन्होंने सभी उत्तराखंडवासियों से एकजुट होकर इस आंदोलन को मजबूत करने का आह्वान किया।

 

“जय पहाड़! जय पहाड़ी!” के नारों के साथ यह विरोध प्रदर्शन संपन्न हुआ, लेकिन संघर्ष समिति ने साफ कर दिया कि यह सिर्फ शुरुआत है, आंदोलन आगे भी जारी रहेगा।

 

 

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